वायरस: क्या हैं, कैसे फैलते हैं और हमारा शरीर इनसे कैसे लड़ता है?

वायरस: क्या हैं, कैसे फैलते हैं और हमारा शरीर इनसे कैसे लड़ता है?

सेहतराग टीम

वायरस जीवित नहीं हैं, वे जीवित वस्तुओं की तरह प्रोटीन और जीन से बनें होते हैं, उन्हें पैदा होने के लिए जीवित होस्ट कोशकाओं से जुड़ने की जरूरत पड़ती है। कोशिकीय तबाही के ये एजेंट चेचक और पोलियो से लेकर एचआईवी और इबोला तक इतिहास को बदलने वाले प्रकोप और महामारी का कारण रहे हैं। लेकिन केवल 20वीं के आने पर खोजे गए। तब से, हमने इन्हें दुनिया भर के लगभग हर पारिस्थितिकी तंत्र यानी  ecosystem में पाया। दुनिया के एक्सपर्ट्स की ओर कहा जा रहा कि वायरस हैं और हमेशा रहेंगे।

पढ़ें- भारत में Covid-19 की रफ्तार दुनिया के सबसे प्रभावित देशों से भी ज्यादा तेज

वायरस क्या हैं (What Is a Virus)?

वायरस जेनेटिक यानी आनुवंशिक मैटेरियल के अत्यधिक छोटे पैकेज हैं। इन्फ्लूएंजा का एक भी कण या विषाणु एक सामान्य बैक्टीरिया से 100 गुना छोटा होता है। आप एक पिन के सिरे में शुरुआत से अंत तक कुछ 15000 फिट कर सकते हैं। बाहरी परत एक प्रोटेक्टिव परत होती है जिसे कैप्सिड कहा जाता है, कुछ वायरस में वायरल आवरण भी होता है, एक दूसरी परत होती है जो वायरस को होस्ट सेल्स से जुड़ने में मदद करती है। इसका आवरण एक गुप्त छिपे हुए यंत्र की तरह काम करता है, जिससे वायरसों को होस्ट इम्यून सिस्टम द्वारा पता लगाने से बचने में मदद मिलती है। ज्यादातर वायरस में कुछ जींस होते हैं, जिनमें डीएनए (DNA) या इसके सिंगल रिलेटिव आरएनए (RNA) में नए वायरस बनाने के निर्देश (instructions) होते हैं। लेकिन उनके पास जेनेटिक कोड को पढ़ने और लिखने यानी रीड और एग्जिक्यूट करने की सेलुलर मशीनरी नहीं है। जहां एक जीवित कोशिका (cell) आती है।

जब एक वायरस संभावित होस्ट से टकराता है, तो इसके बाहरी परत के प्रोटीन जीवित कोशिका के बाहरी झिल्ली के प्रोटीन के साथ संपर्क करते हैं,  अगर यह सही प्रकार की कोशिका है- उदाहरण क लिए, अधिकतर  इन्फ्लूएंजा वायरस केवल आपके नाक, गले और फेफड़ों में कुछ कोशिकाओं को संक्रमित कर सकते हैं- यह अपने जेनेटिक मटेरियल से कोशिका से चिपकने और भीतर जाने में सक्षम है। होस्ट सेल को पता नहीं चला पाता है कि नए जीन भिन्न यानी अलग हैं, इसलिए ये खुद के जेनेटिक कोड में लिखे निर्देशों के अनुसार फैलती हैं। यह कोशिका को वायरल जीनोम बनाने के लिए कहता है और उन्हें नए वायरस में इकट्ठा करता है, जो खुद की होस्ट कोशिका को खोजने के लिए कोशिका से तेजी बाहर निकलकर आते हैं। कई वायरस इस प्रक्रिया को दोहराते हैं। हालांकि जब एक आरएनए को नियंत्रित करने वाला रेट्रोवायरस एक होस्ट सेल को संक्रमित करता है, तो आरएनए डीएनए में बदल जाता है और कोशिका के जीनोम के भीतर प्रवेश करता है। दोहराने वाली प्रक्रिया में यह कदम प्रतियां बनाने की त्रुटि यानी copying error लिए अधिक जगह बनाता है, जो रेट्रोवायरस को म्यूटेशन और तेजी से विकास के लिए अधिक अनुकूल बनाता है। उदाहरण के लिए, शोधकर्ता रेट्रोवायरस एचआईवी की अभी तक कोई वैक्सीन विकसित नहीं कर पाए हैं, क्योंकि इसके बड़े हिस्से में इसकी अलग-अलग ब्रीड यानी नस्ले जन्म लेती रहती हैं।

वायरस के भाग (Parts of a Virus):

  • viral surface protein
  • RNA
  • Envelope
  • Capsid

बैक्टीरियोफेज: गुड गाइ वायरसेस-

बैक्टीरियॉफ़ेज, बैक्टीरिया-मारने वायरस हैं जो चंद्र लैंडर्स की तरह दिखते हैं, वे पहले से ही साइंटिफिक रिसर्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। 1976 में, फेज MS2 अपने जीनोम का अकेला चार जीन क्रम (a mere four genes — sequenced) का  पहला जीव था। भविष्य में, वे हमें एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया से लड़ने में मदद कर सकते हैं।

आधुनिक युग के विषाणुओं की घटनाएं:

1952-अमेरिका में स्मालपॉक्स को खत्म किया गया।

1978- दुनियाभर में स्मालपॉक्स को खत्म किया गया।

1979- बड़े पैमाने पर टीकाकरण कर पोलियो को को खत्म किया, हालांकि यह अन्य देशों बना रहा।

1982- एक नया वायरल इम्यूनोडिफ़िशियेंसी डिसऑर्डर पैदा हुआ, नाम दिया गया "एड्स"

1995- अमेरिका में एड्स से काफी मौतें हुईं।

2003-  सार्स- SARS (गंभीर घातक रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) का कहर बरपा। जिसमें 8000 से अधिक मामले रिपोर्ट हुए और वायरस से 774 जिंदगियों की क्षति हुई, जिसमें से अधिकतर चीन से थीं।

2009- H1N1, जिसे स्वाइन फ्लू के रूप में भी जाना जाता है, दुनियाभर 150,000 से अधिक मौतें हुईं।

2015- खसरा का प्रकोप, जो unvaccinated Disneyland visitors से जुड़ा है।

2019- एक और खसरा का प्रकोप, जो प्रशांत नॉर्थवेस्ट में शुरू हुआ, जिससे अप्रैल के अंत तक 22 राज्यों में 700 से अधिक लोग को संक्रमित हुए।

शरीर अपने आप को कैसे बचाता है (How Body Fight Them in Hindi):

जब मानव शरीर एक बिना अधिकार के प्रवेश करने वाले वायरल का पता लगाता है, तो इम्यून सिस्टम की व्हाइट सेल यानी श्वेत रक्त कोशिकाएं इससे लड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं। बचाव की फर्स्ट लाइन में मैक्रोफेज, बड़ी कोशिकाएं शामिल होती हैं, जो जितना हो सके सभी वायरस को खत्म करती हैं। अगर वह लड़ाई हार जाती हैं और वायरस बचे रहते हैं, तो दूसरी वेव टी और बी लिम्फोसाइटों द्वारा लीड यानी नेतृत्व किया जाता है। टी कोशिकाओं (T cells) से संकेत मिलने पर, बी कोशिकाएं (B cells) एंटीबॉडी बनाती हैं, एक प्रकार का स्पेशल प्रोटीन जो वायरस को दुसरे इम्यून सिस्टम सेल्स द्वारा खत्म करने और कभी-लाभ नक़ल करने से रोकने या रेस्पॉन्ड करने से रोकने के लिए वायरस की पहचान करने के लिए वायरसेस पर अपनी पकड़ बना लेती हैं। टी और बी कोशिकाएं अपने द्वारा पाए गए वायरस को कभी भी नहीं भूलती हैं, इसलिए वायरस के दोबारा वापस आने पर वह तुरंत हरकत में आ जाती हैं यानी वायरस लड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं।

टी और बी कोशिकाएं जुकाम या फ्लू के खिलाफ उतना मदद नहीं करती हैं। हालांकि, "सामान्य जुकाम" एडेनोवायरस या राइनोवायरस के साथ और कई वायरसेस से हो सकता है। अगर आपको एक से अधिक बार जुकाम हुआ है, तो इसका मतलब है कि आपको हर बार एक अलग वायरस या वायरल नस्ल द्वारा हमला किया गया है। इन्फ्लूएंजा वायरस की टी और बी कोशिकाओं के पहचान के परे जल्दी से बदलने वाली अलग-अलग कई ब्रीड यानी नस्लें हैं। दुनियाभर में एपिडेमियोलॉजिस्ट जिनके अगले फ्लू के मौसम के दौरान खतरे का रूप धारण करने की सबसे अधिक संभावना होती है, उन अलग-अलग ब्रीड यानी नस्लों के प्रसार और विकास पर नजर रखते हैं। इसीलिए हर साल फ़्लू शॉट बदलते हैं।

अब जाने-माने वायरस पर नजर डालते हैं:

इन्फ्लुएंजा: दुनियाभर में हर साल इस वायरस की कई ब्रीड यानी नस्लें फैलती हैं, बदलती हैं, जैसे वे यात्रा करती हैं। सीडीसी के अनुसार 2017-18 फ्लू के मौसम ने 49 मिलियन अमेरिकियों को प्रभावित किया और 79,000 लोगों की जिंदगियों का नुकसान हुआ था।

इबोला: इबोला वायरस इम्यून सिस्टम में कोशिकाओं पर उन्हें ऐसे रसायनों के उत्पादन के लिए प्रेरित करने के लिए हमला करता है, जो रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाने और जमने का कारक बनता है।

हेपेटाइटिस बी: यह वायरस लिवर के हेपेटोसाइट्स पर हमला करता है और थकान, कैंसर जैसे दुर्बल लक्षणों को जन्म दे सकता है, यहां तक कि मौत भी हो सकती है।

एचआईवी: एड्स महामारी के पीछे वायरस टी-हेल्पर्स है जो ह्यूमन के इम्यून सेल्स को टारगेट करता है, जिससे शरीर में दूसरी बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।

रेस्पिरेटरी सिंसिअल वायरस (Respiratory syncytial virus): यह वायरस अमेरिका में हर साल  2 मिलियन से अधिक डॉक्टर विजिट करने कारण है, और यह सिर्फ 5 साल से कम उम्र के बच्चों को होता है। इस वायरस से हल्के जुकाम जैसे लक्षण पैदा करता है, हालांकि गंभीर मामलों में खासतौर और शिशुओं और बुजुर्गों में निमोनिया या सांस की नली में सूजन हो सकती है।

एचपीवी: ह्यूमन पैपिलोमा वायरस, एक यौनसंबंध से प्रसारित होने वाला वायरस, जो कुछ खास कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। यह अनुमान लगाया गया है कि ज्यादातर गैर-यौन (unvaccinated), सेक्ससुअली एक्टिव एडल्ट्स (sexually active adults) किसी न किसी रूप में वायरस को ले जाते हैं, हालांकि हर संक्रमण होस्ट सेल्स या कोशिकाओं को नियंत्रण से बाहर बढ़ने के लिए सक्रिय नहीं करता है।

जीका वायरस: डेंगू और वेस्ट नाइल समेत अन्य  मच्छरों से पैदा होने वाले वायरस संबंधित जीका वायरस को पहली बार 1940 के दशक में पहचाना गया था। यह गर्भ में पल रहे बच्चे को भयावह नुकसान पहुंचा सकता है।  जैसे ही जलवायु परिवर्तन होता है वैसे ही उष्णकटिबंधीय कीड़ों का फैलाव बढ़ जाता है, जिससे दुनिया भर में जीका का फैलाव बढ़ जाएगा।

 

इसे भी पढ़ें-

कैसे और कब ख़त्म होगी कोरोना महामारी? जानें क्या कहती है नई रिसर्च

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।